दे दी जाए भीख तो मिलेगी दुआ, नहीं दी लगा देंगे गालियों की झड़ी
- अनुपम जैन -
अजमेर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिले समय हो चुका है। इन दोनों ओवर ब्रिज जैसे कुछ काम स्मार्ट सिटी अजमेर में दिखाई देने भी लगे हैं। लेकिन क्या वस्तुत: अजमेर रूप स्मार्टसिटी के रूप में कहीं भी परिवर्तित होता नजर नहीं आ रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की बात करें तो जैसा पहले था नजारा आज भी ज्यों का त्यों हैं। फरवरी माह की चांद दिखने पर 23 या 24 तारीख से ख्वाजा साहब का उर्स शुरु होना है और स्मार्ट सिटी अजमेर में भिखारियों की संख्या में वृद्धि होने लगी है।
अजमेरस्मार्ट सिटी बनने जा रहे अजमेर में भिखारियों की बढ़ती संख्या एवं दिनोंदिन बढ़ती गतिविधियों से हर कोई परेशान है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, दरगाह के आसपास के क्षेत्रों में लपकों की तरह भिखारी राहगीरों के पीछे पड़ जाते हैं। हालात यह हैं कि पीछा कर सभ्य नागरिक से जब तक कुछ मिल नहीं जाता तब तक पीछा नहीं छोड़ते। भिखारियों की इन हरकतों के चलते महिलाएं व राहगीर खुद शर्मिन्दा हो जाते हैं। अमरबेल की तरह फैलती भिक्षावृत्ति स्माटसिटी अजमेर की छवि के लिहाज से उचित नहीं है। ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के चलते अजमेर में विभिन्न प्रांतों के ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों की भी वर्षभर आवाजाही रहती है। परिवार के साथ शहर के धार्मिक, पर्यटन स्थलों को देखने व दर्शन करने के दौरान सर्वाधिक परेशानी इन्हें भिखारियों से हो रही है। भिक्षावृत्ति में लिप्त महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांग व बच्चे पीछा नहीं छोड़ते।
भिखारियों को वस्त्र, खाने की वस्तुएं एवं सामान देने पर झिटक देते हैं तो कुछ लेकर फेंक देते हैं। भिखारियों का मनोविज्ञान है सिर्फ पैसा बटोरना। वे सिर्फ पैसे/रुपए ही भीख में लेते हैं। भिक्षावृत्ति अब मजबूरी सौदा नहीं बल्कि धंधा बन चुका है।
सूफी संत ख्वाजा मोइनुदिन चिश्ती की नगरी अजमेर में भिखारियों की बढ़ती संख्या से हर कोई परेशान है और दुनिया के मशहूर शहर में शुमार अजमेर की एक कुरूप तस्वीर पेश करती है। दरगाह बाजार के आसपास के क्षेत्रों भिखारी जायरीनों के पीछे पड़ जाते हैं। दरगाह शरीफ में हर आने जाने वाले जायरीन को यहां के भिखारी ऐसे पकड़ लेते हैं, जैसे जायरीन ने कोई अपराध किया हो या फिर ये लोग उन जायरीनों से कोई कर्जा मांगते हो। अगर जायरीन उन्हें कुछ देने से मना करते है तो भिखारियों द्वारा उन्हें अपशब्द सुनने को मिलते हैं और बदुआएँ भी मिलती है। इस तरह फैलती भिक्षावृत्ति स्मार्ट सिटी अजमेर की छवि के लिहाज से उचित नहीं है।
दरगाह इलाके में चलने वाले इस मजमे को वहां खड़ा पुलिस का जवान भी बेबस होकर देखता हुआ नजर आता है। यहां आने वाले जायरीनों-पर्यटकों से भीख मांगने वाले इन भिखारियों में अधिकतर भिखारी नशे के आदी हैं। शराब से लेकर गांजा, अफीम और स्मैक तक इनके पास आसानी से मिल जाती है और अक्सर हर समय ये लोग नशे की आगोश में डूबे हुए नजर आते हैं। कई बार नशे की लत को पूरा करने के लिए चोरियां और जेबतराशी करते हुए भी पकड़े जा चुके हैं। ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इनमे से जो लोग नशे के इस कदर आदि हो चुके हैं कि वे नशे के बिना नहीं रह सकते, ये भिखारी कभी भी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
दुविधा यह है कि इनमे से अधिकांश भिखारी ऐसे हैं जिनकी किसी तरह की कोई पहचान नहीं होती। अगर ऐसे में इस तरह के लोगों को चंद रुपयों का लालच देकर कोई इनसे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने में इनका इस्तेमाल करता है तो इनका पता लगाकर इनको पकडऩा टेड़ी खीर के समान है, क्योंकि इनके पास अपनी पहचान का कोई भी प्रमाण नहीं होता, जिसकी बिनाह पर इन तक पहुंचा जा सके। भीख मांगने वाले लोगों से भिक्षावृत्ति छुड़ाने के लिए संबंधित एनजीओ एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को काउंसलिंग के साथ कार्रवाई करनी चाहिए। संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
बहरहाल, दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले शहर अजमेर में बढ़ रही भिखारियों की तादाद कभी भी किसी वारदात की वजह बन सकती है, जिस पर समय रहते परिस्थितियों के अनुसार अंकुश नहीं लगाना और इस तरफ ध्यान नहीं देना बहुत बड़ी गलती बन सकती है। इसलिए आवश्यक है कि समय रहते पुलिस-प्रशासन और दरगाह कमेटी को इस ओर ध्यान देना चाहिए तथा समय रहते उचित कदम उठाते हुए इस दिशा में कोई कारगर उपाय किए जाए।
अब यदि स्मार्ट सिटी अजमेर की बात करें तो अजमेर शहर में अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इनमें जुआ, सट्टा, अवैध शराब, जिस्म फरोशी, चोरी, लूट छेड़छाड़ की घटनाएं प्रमुख है। पुलिस की सक्रियता का अभाव है। ऐसे में अजमेर शहर को स्मार्ट सिटी बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है।